सोशल मीडिया पर वायरल DSP के नाम पर 72 लाख की ठगी: बालाघाट में बड़ा फर्जीवाड़ा, PMO के हस्तक्षेप पर आरोपी गिरफ्तार
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मध्य प्रदेश बालाघाट। बालरामपुर। मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले से एक बड़ा साइबर फर्जीवाड़ा सामने आया है, जहां सोशल मीडिया पर लाखों फॉलोअर्स वाले वायरल DSP संतोष पटेल के नाम का दुरुपयोग कर छत्तीसगढ़ की एक आदिवासी महिला से 72 लाख रुपये ठग लिए गए। चार वर्षों तक चली इस ठगी का पर्दाफाश प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के हस्तक्षेप के बाद हुआ।
कैसे शुरू हुई ठगी?
पीड़िता ललकी बाई (नाम परिवर्तित), जो छत्तीसगढ़ के बालरामपुर जिले की रहने वाली हैं, अपने बेटों को पुलिस में नौकरी दिलाने के लालच में 2016 से 2025 तक आरोपी को पैसे देती रहीं। आरोपी ने खुद को DSP संतोष पटेल बताकर भर्ती फॉर्म, ट्रेनिंग फीस, मेडिकल, ट्रांसफर और ‘ऊपरी अधिकारियों’ की रिश्वत के नाम पर लगभग 72 लाख रुपये वसूले।
आरोपी ने असली DSP की वर्दी वाली तस्वीरें सोशल मीडिया से डाउनलोड कर व्हाट्सएप प्रोफाइल पर लगाईं और सिर्फ वॉइस कॉल कर संपर्क रखता था। वह कभी वीडियो कॉल नहीं करता था।
असली DSP भी चौंके
जांच के दौरान जब पुलिस असली DSP संतोष पटेल (असिस्टेंट कमांडेंट, बालाघाट हॉक फोर्स) तक पहुंची, तो उन्होंने साफ कहा कि उनका इस महिला से कोई संपर्क नहीं हुआ। पटेल ने पहचान चुराने की पुष्टि की और सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर लोगों से सावधान रहने की अपील की।
PMO के आदेश के बाद तेजी
जुलाई 2025 में पीड़िता ने थाने में FIR के लिए आवेदन किया था, लेकिन BNS-2023 के अनुसार ‘प्रारंभिक जांच’ के चलते कार्रवाई अटकी रही।
सितंबर में पीड़िता ने PMO व छत्तीसगढ़ CM को शिकायत भेजी।
इसके बाद पुलिस ने जांच तेज की और आरोपी की लोकेशन सिद्दी जिले के पदखुरी पचोखर गांव में ट्रेस की।
12 नवंबर को गिरफ्तारी
छत्तीसगढ़ और MP पुलिस की संयुक्त टीम ने आरोपी को गिरफ्तार किया।
आरोपी JCB ऑपरेटर निकला, जिसका नाम भी संयोग से संतोष पटेल ही था।
उसके फोन से 50 से अधिक ठगी के मामलों के सबूत मिले।
जांच में 10+ अन्य पीड़ितों का भी पता चला।
मध्य प्रदेश में 2025 में
1500+ साइबर ठगी शिकायतें,
200 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान दर्ज हुआ है।
यह मामला दिखाता है कि सोशल मीडिया पर लोकप्रिय अधिकारियों और इन्फ्लुएंसर्स की पहचान का दुरुपयोग कितना बड़ा खतरा बन चुका है।
पुलिस व साइबर सेल की अपील
लोग किसी भी अधिकारी से जुड़े नौकरी या ट्रांसफर संबंधी दावे की स्वतंत्र रूप से पुष्टि करें।
ठगी की किसी भी घटना में तुरंत 1930 साइबर हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज करें।
कानूनी कार्रवाई
आरोपी पर BNS की धारा 318 (धोखाधड़ी) और 336 (इम्पर्सनेशन) में केस दर्ज।
फिलहाल आरोपी पुलिस रिमांड में है।
साइबर ठगी के बढ़ते मामले


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