बिहार विधानसभा चुनाव: बीएसपी ने जारी की पहली सूची, तीन उम्मीदवारों के नामों का ऐलान

बिहार विधानसभा चुनाव: बीएसपी ने जारी की पहली सूची, तीन उम्मीदवारों के नामों का ऐलान

बिहार पटना, 26 सितंबर 2025,  बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। जहां एक ओर एनडीए और महागठबंधन के बीच सीट बंटवारे को लेकर बातचीत अभी भी अधर में लटकी है, वहीं बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने सबसे पहले चुनावी मैदान में उतरते हुए तीन उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। बीएसपी बिहार चुनाव में उम्मीदवारों की घोषणा करने वाली पहली पार्टी बन गई है।

पार्टी प्रमुख मायावती की ओर से स्पष्ट कर दिया गया है कि इस बार बीएसपी किसी भी दल से गठबंधन नहीं करेगी और राज्य की सभी 243 विधानसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी। इसी रणनीति के तहत बीएसपी ने अपने तीन प्रत्याशियों के नामों का एलान किया है।

पहली सूची में शामिल उम्मीदवार

🔹 भभुआ सीट से लल्लू पटेल

जिला परिषद सदस्य लल्लू पटेल को बीएसपी ने भभुआ से उम्मीदवार बनाया है। उन्हें स्थानीय स्तर पर प्रभावशाली नेता माना जाता है और उनकी मजबूत जमीनी पकड़ पार्टी की उम्मीदों को बल दे रही है।

🔹 मोहनियां सीट से ओम प्रकाश दीवाना

भोजपुरी फिल्म और संगीत जगत में प्रसिद्ध गायक ओम प्रकाश दीवाना को बीएसपी ने मोहनियां से मैदान में उतारा है। उनकी लोकप्रियता खासकर युवा और ग्रामीण वोटरों के बीच पार्टी को लाभ पहुंचा सकती है।

🔹 रामगढ़ सीट से सतीश यादव उर्फ पिंटू यादव

पिंटू यादव पूर्व आरजेडी विधायक अंबिका यादव के पुत्र हैं। वे 2022 के उपचुनाव में भी बीएसपी प्रत्याशी रह चुके हैं और बहुत कम अंतर से हार का सामना किया था।

सोलो फाइट' की रणनीति पर कायम बीएसपी

बीएसपी की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि पार्टी इस बार किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगी। पार्टी के प्रदेश प्रभारी अनिल कुमार ने कहा, “बिहार की जनता अब एनडीए और महागठबंधन दोनों से निराश है। बीएसपी एक नई और मजबूत राजनीतिक ताकत बनकर उभरेगी।”

हाल ही में बीएसपी के राष्ट्रीय को-ऑर्डिनेटर आकाश आनंद द्वारा निकाली गई 10 दिवसीय 'सर्वजन हिताय जागरूकता यात्रा' को भी पार्टी की चुनावी तैयारी के रूप में देखा जा रहा है। इस यात्रा के माध्यम से बीएसपी ने गांव-गांव तक अपनी राजनीतिक उपस्थिति दर्ज कराई है।

2020 का प्रदर्शन और नई उम्मीदें

पिछले विधानसभा चुनाव (2020) में बीएसपी ने उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और 80 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। हालांकि सफलता सिर्फ चैनपुर सीट पर मिली थी, जहां से जमा खान जीते थे। बाद में वे जेडीयू में शामिल हो गए और मंत्री बनाए गए।

इस बार बीएसपी ने गठबंधन की बजाय अकेले चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। विश्लेषकों का मानना है कि शुरुआती लिस्ट जारी कर बीएसपी ने न केवल अपनी सक्रियता दर्शाई है, बल्कि मतदाताओं को यह संकेत भी दिया है कि पार्टी इस बार पूरी गंभीरता से मुकाबले में है।

लोकप्रियता और सामाजिक समीकरण साधने की कोशिश

पहली सूची में उम्मीदवारों का चयन इस बात की ओर संकेत करता है कि बीएसपी सामाजिक और लोकप्रियता के समीकरणों को ध्यान में रखकर उम्मीदवार उतार रही। है। खासकर भोजपुरी गायक ओम प्रकाश दीवाना को टिकट देना पार्टी की रणनीति का एक अहम हिस्सा माना जा रहा है।

राजनीतिक विश्लेषण

बीएसपी का यह कदम ऐसे समय पर आया है जब बड़ी पार्टियां अभी भी सीटों के बंटवारे में उलझी हुई हैं। ऐसे में बीएसपी द्वारा तीन उम्मीदवारों की घोषणा करना पार्टी की सक्रियता और आत्मविश्वास का संकेत है। अब देखना यह होगा कि मायावती की यह रणनीति बिहार की राजनीतिक जमीन पर कितनी असरदार साबित होती है।

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