घंटाघर की रौनक ने जगाई भाईचारे की रोशनी
पचास साल पुरानी परंपरा ने दिलों में मोहब्बत और गंगा-जमुनी तहज़ीब की लौ जगाई
Today crime news
उत्तर प्रदेश कानपुर 4 सितंबर। शहर का दिल कहे जाने वाला घंटाघर चौराहा एक बार फिर गंगा-जमुनी तहज़ीब का चमकदार प्रतीक बन गया। हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोगों ने मिलकर सजावट व रोशनी का ऐसा नज़ारा पेश किया कि जिसने हजारों लोगों का दिल जीत लिया।
करीब पचास साल पुरानी परंपरा के तहत हर साल घंटाघर से सुतरखाना तक गेट सजाए जाते हैं और पूरा इलाका दुल्हन की तरह जगमगा उठता है। इस वर्ष का मुख्य आकर्षण तुर्की की मशहूर अलहुदा मस्जिद के नक्शे पर तैयार किया गया गेट रहा। रोशनी में नहाए इस गेट ने लोगों को इतना आकर्षित किया कि हर आने-जाने वाला इसके सामने तस्वीरें खिंचवाने से खुद को रोक नहीं पाया।
आयोजन की जिम्मेदारी इस्लामिया अहले सुन्नत कमेटी ने निभाई। कमेटी के संयोजक पिंकी यादव, असलम खान, मुन्ना सामानी, अध्यक्ष आफताब आलम, महामंत्री इश्तियाक अहमद, सचिव संदीप गुप्ता, उपाध्यक्ष मोहम्मद रफीक, मुजाहिद और मीडिया प्रभारी शावेज़ आलम ने सजावट में अहम भूमिका अदा की। उनकी मेहनत और लगन से घंटाघर की रौनक देखने लायक रही और पूरा इलाका देर रात तक गुलज़ार बना रहा।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह आयोजन न केवल आंखों को सुकून देता है बल्कि दिलों में मोहब्बत और भाईचारे का संदेश भी पहुंचाता है। एक बुज़ुर्ग ने कहा— “ये रोशनी सिर्फ बिजली की नहीं, बल्कि दिलों को जोड़ने वाली है। यही कानपुर की असली पहचान है।”
घंटाघर की यह सजावट लगातार लोगों का आकर्षण बनी हुई है। यहां आने वाले लोग तस्वीरें खींचकर इस अनोखी मिसाल को यादगार बना रहे हैं। कानपुर की यह पहल न केवल शहर, बल्कि पूरे प्रदेश और देश के लिए संदेश है कि धर्म कोई भी हो, जब दिल साथ धड़कते हैं तो मोहब्बत और रोशनी हर जगह फैलती है।
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