धनखड़ ने विपक्ष का गला दबाया, अब खुद की आवाज पर गिरी गाज
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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शनिवार को कहा कि पूर्व उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने अपने कार्यकाल के दौरान सदन में विपक्ष की आवाज को दबाया, लेकिन जब उन्होंने खुद खुलकर बोलना शुरू किया और केंद्र सरकार के साथ विभिन्न मुद्दों पर तालमेल से इनकार किया, तो उन्हें भी दबाव और आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।
पिछले महीने धनखड़ के अप्रत्याशित इस्तीफे को लेकर जारी अटकलों के बीच, राज्यसभा में विपक्ष के नेता खड़गे ने आरोप लगाया कि उन्हें जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ विपक्षी सांसदों द्वारा लाए गए प्रस्ताव को वापस लेने के लिए धमकाया गया और दबाव डाला गया।
उन्हें कहा गया या तो प्रस्ताव वापस लें या इस्तीफा दें- खड़गे
खड़गे ने कहा कि, 'उन्हें कहा गया कि या तो प्रस्ताव वापस लें या इस्तीफा दें। उन्होंने इस्तीफा देना चुना।' कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी याद दिलाया कि धनखड़ के कार्यकाल के दौरान विपक्ष को बार-बार बोलने से रोका गया और अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई।
उन्होंने बताया कि 2023 में कांग्रेस की महिला सांसद रजनी अशोकराव पाटिल को सदन की कार्यवाही की वीडियोग्राफी कर सोशल मीडिया पर शेयर करने के आरोप में सात महीने के लिए निलंबित कर दिया गया था, हालांकि उनका निलंबन अगस्त 2023 में रद्द कर दिया गया था।
उपराष्ट्रपति हमें बोलने नहीं देते थे
खड़गे ने कहा कि, 'पिछले उपराष्ट्रपति हमें बोलने नहीं देते थे। वे निलंबन करते थे। हमारी एक महिला सांसद को सात महीने के लिए निलंबित किया गया था।' उन्होंने आगे कहा, 'लेकिन जब उन्होंने (धनखड़ ने) नियमों की बात करनी शुरू की, न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ कार्रवाई को लेकर आवाज उठाई, तो उन पर प्रस्ताव वापस लेने के लिए दबाव डाला गया और धमकियां दी गईं।'
खड़गे यह बयान कांग्रेस के एक दिवसीय सम्मेलन संवैधानिक चुनौतियां: परिप्रेक्ष्य और रास्ते के दौरान दे रहे थे।उल्लेखनीय है कि विपक्षी दलों ने पहले भी आरोप लगाया था कि 'धनखड़ कार्यवाही के दौरान निष्पक्ष व्यवहार नहीं करते थे और विपक्ष को पर्याप्त बोलने नहीं दिया जाता था।
21 जुलाई को उपराष्ट्रपति धनखड़ ने अपने कार्यकाल की समाप्ति से लगभग दो साल पहले ही पद से इस्तीफा दे दिया। उनका कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था। आधिकारिक तौर पर उन्होंने इस्तीफे की वजह स्वास्थ्य संबंधी कारण बताए, लेकिन सूत्रों के अनुसार उनके और केंद्र सरकार के बीच मतभेद गहराते जा रहे थे।
धनखड़ और केंद्र के बीच भरोसे की दरार
सूत्रों का कहना है कि, धनखड़ और केंद्र के बीच भरोसे की दरार तब और गहरी हो गई जब उन्होंने यशवंत वर्मा के महाभियोग प्रस्ताव पर सरकार के रुख के साथ जाने से इनकार कर दिया।
NDTV की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मानसून सत्र से कुछ दिन पहले सरकार के मंत्रियों ने धनखड़ से कई बार मुलाकात की और आग्रह किया कि वह वर्मा के खिलाफ विपक्ष समर्थित प्रस्ताव को आगे न बढ़ाएं। उन्हें साफ तौर पर कहा गया कि लोकसभा इस प्रक्रिया की शुरुआत करेगी और उन्हें न्यायमूर्ति शेखर यादव (इलाहाबाद हाई कोर्ट) के महाभियोग प्रस्ताव को खत्म करने पर ध्यान देना चाहिए।
नए उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए मतदान 9 सितंबर को
इस बीच, चुनाव आयोग ने शुक्रवार को घोषणा की कि नए उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए मतदान 9 सितंबर को होगा। 7 अगस्त को अधिसूचना जारी की जाएगी और नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 21 अगस्त तय की गई है। चुनाव परिणाम मतदान वाले दिन ही घोषित किए जाएंगे।
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