कौन हैं वो 17 विधायक, जिन्हें कांग्रेस फिर से देगी टिकट?
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बिहार। विधानसभा चुनाव 2025 की उलटी गिनती शुरू होते ही कांग्रेस ने अपनी रणनीति तेज कर दी है। महागठबंधन में सीटों का आधिकारिक बंटवारा अभी बाकी है, लेकिन कांग्रेस ने अंदरखाने अपने उम्मीदवारों की लिस्ट तैयार करनी शुरू कर दी है। पार्टी की योजना है कि इस बार कम सीटों पर लड़े, मगर बेहतर स्ट्राइक रेट हासिल करे। फिलहाल बिहार विधानसभा में कांग्रेस के 19 विधायक हैं, लेकिन सिद्धार्थ सौरभ और मुरारी गौतम पार्टी से अलग हो चुके हैं। ऐसे में बचे हुए 17 विधायकों का टिकट लगभग पक्का माना जा रहा है। पार्टी ने आंतरिक सर्वे के बाद तय किया है कि मौजूदा विधायकों को दोबारा मौका मिलेगा। यानी इन 17 विधायकों की टिकट इस बार पक्की है।
इन 17 विधायकों में भागलपुर से अजीत शर्मा, किशनगंज से इजहारुल हुसैन, राजापाकर से प्रतिमा दास, सिवान से जयशंकर दुबे, औरंगाबाद से आनंद शंकर, बक्सर से मुन्ना तिवारी, करगहर से संतोष मिश्रा, जमालपुर से अजय कुमार सिंह, मुजफ्फरपुर से वीरेन्द्र चौधरी, कुढ़नी से राजेश कुमार, हिसुआ से नीतू कुमारी, कटरा से अफाक आलम, राजपुर से विश्वनाथ राम, मनिहारी से मन्टोहर प्रसाद सिंह, कदवा से डॉ. शकील अहमद खान और अररिया से अब्दुर रहमान शामिल हैं।
55-60 सीटों पर फोकस, लेकिन 'स्ट्राइक रेट' पर जोर
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक इस बार पार्टी को महागठबंधन में 55-60 सीटें मिलने का अनुमान है। 2020 के चुनाव में कांग्रेस को 70 सीटें मिली थीं, जिनमें से 19 पर जीत दर्ज की थी। अबकी बार पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि ज्यादा सीटें नहीं, बल्कि जीतने योग्य सीटें चाहिए। पार्टी ने अब तक 45 से ज्यादा ऐसी सीटों की लिस्ट बनाई है, जहां उसका संगठन मजबूत है। इनमे पिछली बार जीती गई सभी सीटें और कुछ नई सीटें शामिल हैं।
जिन सीटों पर कांग्रेस ने ठोकी दावेदारी
कांग्रेस ने बिहार की कई सीटों पर अपनी मजबूत दावेदारी पेश की है। कांग्रेस ने बिस्फी, मांझी, चैनपुर, गया टाउन, टिकारी, वजीरगंज, रोसड़ा, वैशाली, लालगंज, मोहनिया, तरारी, भोरे, हाजीपुर, कुम्हरार, हलसी, मोरहर, कुशेश्वरस्थान, गोविंदपुर, बेनिपट्टी, विक्रम, नरकटियागंज, राजनगर, बख्तियारपुर, रामगढ़ और भागलपुर जैसी सीटों पर मजबूत दावा ठोका है। टिकट बंटवारे में राहुल गांधी की सोशल इंजीनियरिंग रणनीति दिखने की संभावना है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक इस बार EBC (अति पिछड़ा वर्ग), दलित और अल्पसंख्यक उम्मीदवारों को ज्यादा टिकट दिया जाएगा। राहुल खुद लगातार OBC और दलितों की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं।
कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि वह इस बार "कम सीट, ज्यादा जीत" के फॉर्मूले पर चुनाव लड़ेगी। राहुल गांधी की यात्रा और सोशल इंजीनियरिंग रणनीति के जरिए पार्टी राज्य में अपनी खोई जमीन वापस पाने की कोशिश करेगी।
राहुल गांधी का 'वोट अधिकार यात्रा' और चुनावी मैसेज
17 अगस्त से राहुल गांधी की 'वोट अधिकार यात्रा' शुरू हो चुकी है, जो 15 दिनों तक चलेगी और पटना में खत्म होगी। यात्रा के जरिए राहुल सीधे कार्यकर्ताओं में जोश भरने और जनता के बीच महागठबंधन का एजेंडा पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। यह यात्रा राज्य के 18 जिलों से होकर गुजरेगी, जिनमें मगध, पटना और कोसी प्रमंडल प्रमुख हैं।
ऑनलाइन आवेदन और 'सोशल मीडिया पैरामीटर'
इस बार टिकट वितरण प्रक्रिया भी बदल दी गई है। कांग्रेस ने इच्छुक उम्मीदवारों से ऑनलाइन आवेदन मंगाए हैं। इसमें व्यक्तिगत जानकारी के साथ शर्तें जोड़ी गई हैं-जैसे जनाक्रोश रैली में भागीदारी, सामुदायिक बैठकें, संगठनात्मक कार्यक्रम की रिपोर्ट और सोशल मीडिया पर सक्रियता। यहां तक कि फेसबुक-इंस्टाग्राम फॉलोअर्स की संख्या भी परखी जा रही है।
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