वक्फ संशोधन बिल का विरोध: रमजान के आखिरी जुमे पर काली पट्टी बांधकर पढ़ी नमाज
मध्य प्रदेश भोपाल। राजधानी भोपाल में रमजान के आखिरी शुक्रवार यानी जुमे की नमाज के मौके पर वक्फ संशोधन बिल 2024 के खिलाफ मुस्लिम समुदाय ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। शुक्रवार, 28 मार्च 2025 को भोपाल, इंदौर और नर्मदापुरम में मुस्लिम समाज के सदस्यों ने अपनी बांह पर काली पट्टी बांधकर नमाज अदा की और इस बिल को मुस्लिम विरोधी बताते हुए इसका कड़ा विरोध किया।
इस दौरान भोपाल के काजी सैयद अनस अली ने कहा, "वक्फ संपत्तियों पर जालिमों की नजर है। यह लोग हमारी संपत्तियाँ हड़पना चाहते हैं।" वहीं, बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा ने पलटवार करते हुए कहा कि यह विरोध मुसलमानों के नाम पर राजनीति करने वालों की साजिश है। लेकिन इस विरोध ने रायसेन में हिंसक रूप ले लिया, जहां काली पट्टी बांधने को लेकर मुस्लिम समुदाय के दो पक्ष आपस में भिड़ गए और चार लोग घायल हो गए।
काली पट्टी बांधकर शांतिपूर्ण विरोध, काजी बोले- "संपत्तियाँ हड़पने की साजिश!
रमजान के आखिरी जुमे की नमाज के मौके पर भोपाल में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) की अपील पर काली पट्टी बांधकर वक्फ संशोधन बिल का शांतिपूर्ण और मौन विरोध किया। भोपाल के ताज-उल-मस्जिद और इकबाल मैदान मस्जिद में हजारों की संख्या में लोग नमाज के लिए जुटे, और काली पट्टी बांधकर अपनी नाराजगी जाहिर की। इस मौके पर भोपाल के काजी सैयद अनस अली ने कहा, "वक्फ अमेंडमेंट बिल वक्फ की संपत्तियों को हड़पने के लिए लाया जा रहा है। यह बिल मुस्लिमों के हित में नहीं है। यह सुनियोजित तरीके से उद्योगपतियों को लाभ पहुँचाने और मुसलमानों की वक्फ संपत्तियों को हड़पने की साजिश है। हम अपनी संपत्तियों की हिफाजत हर हाल में करेंगे।
AIMPLB ने पहले ही इस बिल को अस्वीकार्य घोषित करते हुए कहा था कि अगर यह बिल पारित हो गया, तो मस्जिद, दरगाह, मदरसे, कब्रिस्तान और कई अन्य संस्थान मुस्लिम समुदाय के हाथ से चले जाएँगे। भोपाल के अरबाज मिर्जा ने कहा, "वक्फ बोर्ड बिल गलत लाया गया है। हमारे उलेमा-ए-दीन ने काली पट्टी बांधकर इसका विरोध करने के लिए कहा है। यह हमारी संपत्तियों पर कब्जे की साजिश है।
बीजेपी विधायक का पलटवार: "मुसलमानों के नाम पर राजनीति हो रही!
इस विरोध प्रदर्शन पर बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा ने तीखा पलटवार किया। उन्होंने कहा, "मुसलमानों के नाम पर राजनीति करने वालों के पेट में दर्द हो रहा है। वक्फ की जमीन से दो-चार परिवारों का ही पेट पल रहा है। इससे काम नहीं चलेगा। करोड़ों मुसलमान दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं, पंक्चर की दुकान, हाथ ठेला, कबाड़ी का धंधा कर रहे हैं। उनके पास शिक्षा का, इलाज का साधन नहीं, रहने को मकान नहीं है। अगर मोदी जी ने उन गरीब मुसलमानों का सोचा, तो क्या गलत किया?" रामेश्वर शर्मा का इशारा उन गरीब मुस्लिम परिवारों की तरफ था, जो वक्फ संपत्तियों से कोई लाभ नहीं ले पा रहे, और जिन्हें यह बिल कथित तौर पर मुख्यधारा में लाने का दावा करता है।
रायसेन में हिंसक झड़प: 4 लोग घायल
जहां भोपाल, इंदौर और नर्मदापुरम में विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा, वहीं रायसेन में यह प्रदर्शन हिंसक रूप ले लिया। रायसेन में काली पट्टी बांधने को लेकर मुस्लिम समुदाय के दो पक्ष आपस में भिड़ गए। एक पक्ष का कहना था कि यह विरोध जरूरी है, जबकि दूसरा पक्ष इसे सियासी ड्रामा बता रहा था। देखते ही देखते दोनों पक्षों में बहस बढ़ गई और बात मारपीट तक पहुँच गई। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर हथियारों से हमला कर दिया, जिसमें चार लोग घायल हो गए। घायलों को तुरंत रायसेन के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है। पुलिस ने मौके पर पहुँचकर स्थिति को नियंत्रित किया और मामले की जाँच शुरू कर दी है।
भोपाल, इंदौर और नर्मदापुरम में भी विरोध
भोपाल के अलावा इंदौर और नर्मदापुरम में भी मुस्लिम समुदाय ने काली पट्टी बांधकर नमाज अदा की और वक्फ संशोधन बिल का विरोध किया। इंदौर के खजराना इलाके में बड़ी संख्या में लोग जुटे और शांतिपूर्ण तरीके से अपनी नाराजगी जाहिर की। नर्मदापुरम में भी मस्जिदों के बाहर लोगों ने काली पट्टी बांधकर नमाज पढ़ी। एक स्थानीय निवासी ने कहा, "यह बिल हमारी धार्मिक संपत्तियों को खतरे में डाल रहा है। हम इसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे।"
वक्फ संशोधन बिल: क्या है विवाद?
वक्फ संशोधन बिल 2024 को लेकर मुस्लिम समुदाय में भारी नाराजगी है। इस बिल में वक्फ बोर्ड के कामकाज और संपत्तियों के प्रबंधन में कई बदलाव प्रस्तावित हैं। सरकार का दावा है कि यह बिल वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और पारदर्शिता के लिए लाया गया है, ताकि इसका लाभ गरीब मुस्लिम समुदाय तक पहुँच सके। लेकिन मुस्लिम संगठनों का कहना है कि यह बिल वक्फ संपत्तियों पर मुस्लिम समुदाय का नियंत्रण खत्म कर देगा। AIMPLB और अन्य संगठनों ने इसे "मुस्लिम विरोधी" करार देते हुए कहा है कि इससे मस्जिदों, मदरसों और कब्रिस्तानों पर कब्जे का खतरा बढ़ जाएगा।
सोशल मीडिया पर बहस: "यह सियासत है या संपत्ति की लूट?"
इस विरोध प्रदर्शन ने सोशल मीडिया पर भी बहस छेड़ दी है। एक यूजर ने लिखा, "वक्फ संशोधन बिल मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों को हड़पने की साजिश है। सरकार को इसे वापस लेना चाहिए।" वहीं, एक अन्य यूजर ने लिखा, "वक्फ की जमीनों से कुछ लोग ही मालामाल हो रहे हैं। गरीब मुसलमानों को इसका कोई फायदा नहीं मिल रहा। इस बिल से पारदर्शिता आएगी।" कुछ लोगों ने रायसेन की हिंसक घटना पर चिंता जताते हुए कहा, "शांतिपूर्ण विरोध ठीक है, लेकिन हिंसा किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं है।"
एक सवाल: क्या यह बिल वाकई मुस्लिम विरोधी है?
वक्फ संशोधन बिल को लेकर दोनों पक्षों के अपने-अपने तर्क हैं। सरकार का कहना है कि यह बिल वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकने और गरीब मुसलमानों तक इसका लाभ पहुँचाने के लिए है। लेकिन मुस्लिम समुदाय इसे अपनी धार्मिक स्वायत्तता पर हमला मान रहा है। सवाल यह है कि क्या यह बिल वाकई मुस्लिम विरोधी है, या इसके पीछे कोई सियासी मकसद है? और अगर यह बिल पारदर्शिता के लिए है, तो सरकार को मुस्लिम समुदाय की चिंताओं को दूर करने के लिए और पारदर्शी तरीके से बातचीत क्यों नहीं करनी चाहिए? यह विवाद अभी खत्म होने वाला नहीं है, और आने वाले दिनों में यह और गहरा सकता है। लेकिन एक बात तय है-यह मुद्दा मध्यप्रदेश में सियासी और सामाजिक तनाव को बढ़ाने का काम कर रहा है। यह कहानी अभी खत्म नहीं हुई है-आने वाले दिनों में इसकी नई कड़ी सामने आ सकती है!
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