वक्फ बिल से क्या आम मुसलमानों को वाकई होगा नुकसान? मौलाना ने साफ की तस्वीर
उत्तर प्रदेश। लोकसभा और राज्यसभा में केंद्र सरकार के द्वारा पेश किया गया वक्फ संशोधन विधेयक पारित हो चुका है। इस बिल के पास होने के बाद मुस्लिम समुदाय में इस बिल को लेकर तमाम तरह की चिंताएं उभरकर सामने आ रही हैं। कई मुस्लिम संगठन इसका जमकर विरोध कर रहे हैं और इसे मुसलमान विरोधी बता रहे हैं।
इस सबके बीच ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने इन चिंताओं को दूर करने के लिए आगे कदम बढ़ाया है। उन्होंने यह तस्वीर साफ कर दी है कि इससे क्या सच में देश के आम मुसलमानों को नुकसान होगा।
आम मुसलमानों का क्या सच में होगा नुकसान?
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने मुस्लिम समुदाय को आश्वस्त किया कि यह वक्फ विधेयक वंचित और आम मुसलमानों के कल्याण को ध्यान में रखकर बनाया गया है, जिसका उद्देश्य समुदाय के गरीब और वंचित लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए वक्फ भूमि राजस्व का उपयोग करना है। मौलाना बरेलवी ने वक्फ संशोधन विधेयक के सकारात्मक प्रभाव के बारे में बात की और बताया कि ये किस तरह मुस्लिम समुदाय के गरीब तबके के कल्याण के लिए है। उन्होंने बताया कि वक्फ भूमि से होने वाली आय का उद्देश्य महत्वपूर्ण सामाजिक पहलों के लिए है, जिसमें गरीब बच्चों, अनाथों और विधवा महिलाओं के लिए शिक्षा और कल्याण कार्यक्रम शामिल हैं।
बरेलवी ने कहा कि धन के इस रणनीतिक उपयोग से मुसलमानों में गरीबी कम होने और स्कूल, कॉलेज, मदरसे और अनाथालय स्थापित करके शैक्षिक पिछड़ेपन को खत्म करने की उम्मीद है। इन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करके, विधेयक से मुस्लिम समुदाय को बढ़ावा मिलेगा।
वक्फ बिल से क्या मुसलमानों के धार्मिक स्थानों को खतरा है?
मौलाना ने बिल के बारे में फैली गलत सूचनाओं के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा, "मस्जिद, मदरसे, ईदगाह, कब्रिस्तान और दरगाह जैसे धार्मिक स्थलों को कोई खतरा नहीं है।" उन्होंने आश्वासन दिया कि इन स्थानों की स्थिति अपरिवर्तित रहेगी और सरकार उनमें हस्तक्षेप नहीं करेगी। मौलाना बरेलवी ने मुस्लिम समुदाय से इस तरह की भ्रामक रणनीति के प्रति सतर्क रहने और भय फैलाने वालों के आगे न झुकने का आग्रह भी किया।
बरेलवी ने सीएए का दिया उदाहरण
बरेलवी मौलाना ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के कार्यान्वयन से पहले हुई अशांति की याद दिलाई। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों ने नागरिकता खोने के झूठे दावों से मुस्लिम आबादी को गुमराह किया और भयभीत किया। हालाँकि, सीएए के कार्यान्वयन के बाद की वास्तविकता इसके विपरीत साबित हुई, जिसमें मुसलमानों ने न केवल अपनी नागरिकता बरकरार रखी, बल्कि कुछ ने इसे हासिल भी किया।

(Today crime news)
Post a Comment