सीसामऊ विधानसभा का सस्पेंस खत्म, bjp पार्टी ने दो बार चुनाव हारे हुए प्रत्याशी पर दिखाना भरोसा
उत्तर प्रदेश कानपुर। कल नामांकन का आखिरी दिन भाजपा ने भी अपने प्रत्याशियों का इंतजार खत्म कर दिया। उत्तर प्रदेश में 9 सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं। लगभग सभी पार्टियों ने फार्म भर दिए हैं। बीजेपी प्रत्याशी का इंतज़ार था।नामांकन के एक दिन पहले ही बीजेपी ने अपनी सभी 9 सीटों के राज खोल दिया है। कानपुर की सीसामऊ से दावेदारों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। राकेश सोनकर ने भी फार्म लिया था।भारतीय जनता पार्टी ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र से एक बार फिर से दो बार चुनाव हार चुके प्रत्याशी पर दांव खेला है। पार्टी ने सुरेश अवस्थी को टिकट देकर यह संकेत दिया है कि पार्टी उनके प्रति अभी भी भरोसा जताती है और उन्हें जीत दिलाने के लिए तैयार है। इससे पहले,सुरेश अवस्थी ने 2017 में सीसामऊ और 2022 के विधानसभा चुनावों में आर्यनगर विधानसभा से भाजपा के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। बावजूद इसके, पार्टी ने उन्हें एक और मौका देते हुए सीसामऊ क्षेत्र में चुनावी रणभूमि में उतारा है। यह निर्णय पार्टी की रणनीतिक सोच का हिस्सा माना जा रहा है, जहां हार के बावजूद पुराने प्रत्याशी को मौका दिया जा रहा है, ताकि क्षेत्र में उनकी मजबूत पकड़ और जनाधार का फायदा उठाया जा सके। सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र पर भाजपा की नजर लंबे समय से रही है, क्योंकि यह इलाका चुनावी दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। पार्टी का मानना है कि इस बार सुरेश अवस्थी की मेहनत और क्षेत्र में किए गए विकास कार्यों की बदौलत जीत हासिल की जा सकती है। भाजपा का यह फैसला आने वाले चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, खासकर तब जब पार्टी अन्य विपक्षी दलों के खिलाफ रणनीतिक तौर पर चुनावी समीकरण साध रही है। वहीं विपक्षी दलों ने भाजपा के इस कदम की आलोचना करते हुए कहा है कि दो बार हार चुके प्रत्याशी को फिर से मैदान में उतारना इस बात का संकेत है कि पार्टी के पास इस क्षेत्र के लिए नया और योग्य नेतृत्व नहीं है। विरोधियों का मानना है कि जनता भाजपा के पुराने चेहरे को स्वीकार नहीं करेगी और उनकी हार निश्चित है। सीसामऊ क्षेत्र के मतदाताओं की राय भी मिली-जुली है। कुछ लोगों का मानना है कि सुरेश अवस्थी ने अपने पिछले कार्यकाल के दौरान काफी मेहनत की थी, लेकिन चुनावी समीकरण उनके पक्ष में नहीं रहे। वहीं, कुछ अन्य मतदाता इस फैसले से असंतुष्ट हैं और नए चेहरे की उम्मीद कर रहे थे।आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा का यह दांव कितनी दूर तक सफल होता है और क्या सुरेश अवस्थी सीसामऊ क्षेत्र से जीत दर्ज कर पाते हैं।
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